Gunjan Kamal

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प्यार जो मिला भी और नहीं भी भाग :- ११

                                                   भाग :- ११ 

ग्यारहवां अध्याय शुरू 👇


मधु अपने पहले कोचिंग के सर उमेश सर से सब बच्चों  के  परिणाम के बारे में पूछ लेती है और अब उसको इंतजार है उमेश सर के जवाब का । उमेश सर मधु  की तरफ देखते हुए कहते हैं 👇

उमेश सर :-  सब बच्चों के परिणाम अच्छे नहीं आएं है । केवल धरम ही ऐसा है जो थर्ड डिवीजन से पास हुआ है बाकी सब तो फेल ही हो गए हैं। मैंने भी जब सुना तो मुझे विश्वास नहीं हुआ लेकिन सच्चाई तो यही है।


मधु को उमेश सर की बातों पर विश्वास नहीं हो रहा है। उसे यकीन नहीं हो रहा है कि ऋषभ जो पढ़ने में इतना होशियार था, वह फेल कर गया है । ऋषभ के फेल होने की वजह से मधु मन ही मन बहुत दुखी हो रही है फिर भी अपने आप को संभालते हुए वह उमेश  सर की तरफ देखते हुए कहती है 👇


मधु :-  सर ! क्या ऋषव भी फेल हो गया?

उमेश सर :- हाॅं मधु! वह भी फेल हो गया है।

उमेश सर की कही बात पर मधु को अब भी भरोसा नहीं हो रहा है। बहुत सारे सवाल उसके स्वयं के भीतर चल रहे है जिसके जवाब उसे उमेश सर से चाहिए। इन्हीं सवालों के जवाब जानने के लिए वह उमेश सर से दुबारा पूछती है 👇

मधु :- मुझे विश्वास नहीं हो रहा है सर । वो तो पढ़ने में तेज था फिर ‌....

मधु बोल ही रही कि उमेश सर  बीच में ही मधु की तरफ देखते हुए बोल पड़ते हैं 👇

उमेश सर :-  मुझे भी विश्वास नहीं हुआ था जब ‌उसके पापा ने मुझे बताया था। उसके पापा मुझसे झूठ तो नही कहेंगे ना?

उमेश सर की बातें सुनकर मधु ने सिर्फ इतना ही कहा 👇

मधु : जी सर!

मधु ऋषभ  की दसवीं का परिणाम  सुनकर बहुत दुखी हो  है। कहां वह रास्ते भर ये सोचते हुए आई है कि उमेश सर से उसे ऋषभ के फर्स्ट डीविजन में पास होने की खुशखबरी सुनने के बाद वह भोलेनाथ और माता दुर्गा की मंदिर में जाकर दोनों के इष्टदेव और इष्टदेवी को प्रसाद चढ़ाकर उनका  धन्यवाद देगी और कहां यहां आकर वह ये सुन रही है कि ऋषभ तो पास ही नहीं हुआ। मन ही मन में दुखी मधु को आभास होता है कि वह कही उमेश सर के सामने ही ना रो दे इसलिए  अपने आप को संभालते हुए वह कहती है 👇


मधु :- सर ! अब   मैं चलती हूॅं ।  मैंने माॅं को यहां आने से पहले कहा था कि मैं जल्दी आ जाउंगी ।यह कहकर मधु कुर्सी पर से उठ जाती है। उसे जाने के लिए उठता देख उमेश सर भी अपने सोफे से उठ खड़े होते है और उसकी तरफ देखते हुए कहते है 👇


उमेश सर :-  ठीक है ! तुम  जाओ। तुम मुझसे मिलने आई देखकर बहुत अच्छा लगा। जाने से पहले तुम्हें इतना अवश्य कहूंगा कि  हमेशा इसी तरह आगे बढ़ते रहना । मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ हमेशा है और आगे भी रहेगा।


उमेश सर के पांव छूकर  मधु अपनी साइकिल के पास आती है और उस पर बैठ कर अपने घर तो आ जाती है  लेकिन रास्ते भर उसकी ऑंखें गीली ही  रही। मन में  ऋषभ के लिए ही सोचती रही और ऑंखों में उसी का  चेहरा ही घूमता रहा। घर पहुंच कर भी वह  दुखी ही रह रही है।


इधर ऋषभ भी अपनी दसवीं  के परिणाम के  कारण दुखी है लेकिन फिर भी वह मधु का रिजल्ट जानने की इच्छा लेकर  उमेश सर के घर पहुंच ही गया है।


ऋषभ को अपने घर पर  देखकर उमेश सर आश्चर्यचकित हो जाते है। उसे कुर्सी पर बैठने का इशारा कर वह  कहते है 👇


उमेश सर :-  आओ ऋषभ बैठो !  तुम यहां पर आएं हो मुझे तो विश्वास भी नही हो रहा है? कोई बात है क्या मुझे बताओ क्योंकि अक्सर पास किए हुए विद्यार्थी ही अपने गुरु को याद करते हुए उनके पास जाते हैं।


ऋषभ ने पहले तो झुक कर उमेश सर के पैर छुए और उनकी  सोफे के पास वाली कुर्सी पर बैठते हुए कहा 👇


ऋषभ  :- मेरे रिजल्ट के बारे में  मेरे पापा ने आपको बता ही दिया है । मैं मधु के रिजल्ट के बारे में आपसे पूछने आया था क्योंकि जितना मैं मधु को जानता हूॅं  वह आपके पास जरूर आई होगी ।

उमेश सर ऋषभ की तरफ देखते हुए कहते है 👇


उमेश सर :- हां ! तुमने बिल्कुल सही कहा  मधु आज सुबह ही तो यहां आई थी । वह फर्स्ट डिवीजन में पास हुई है इसलिए मुझे मिठाई खिलाकर गई है । वह तो सबके रिजल्ट के बारे में पूछ रही थी । तुम्हारे बारे में भी पूछा उसने। तुम्हारा रिजल्ट सुनकर दुखी लग  रही थी और कह रही थी कि उसे तो विश्वास ही  नहीं हो रहा है कि तुम   फेल  कैसे  हो गए  ?


मधु ने फर्स्ट डिवीजन में दसवीं की परीक्षा पास की है यह सुनकर ऋषभ का चेहरा खुशी से दमकने लगता है लेकिन अपने आप को नियंत्रित कर वह उमेश  सर की तरफ देखते हुए कहता है 👇


ऋषभ :-  कोई नहीं सर । मैं अगले साल अच्छे नंबरों से पास हो जाऊंगा । मधु को तो प्रथम आना ही  था सर । हम सभी और आप भी तो जानते हैं कि वह  कितनी  मेहनती थी और पढ़ाई में होशियार भी  थी इसीलिए उसका फर्स्ट डिवीजन तो रखा ही था । मैं भी मेहनत कर अगले साल फर्स्ट डिवीजन में पास होने की पूरी कोशिश करूंगा और आपका आशीर्वाद रहा तो मैं इसमें सफल भी होकर  रहूंगा । अब तो सिर्फ अगले साल का इंतजार है।


उमेश  सर  ने  ऋषभ  के  सिर  पर हाथ रखते हुए कहा 👇


उमेश सर :- अपना कर्म करते जाओ और फल की चिंता मत करो । तुम्हारी मेहनत  अगर सच्ची  होगी  तो फल भी  तुम्हें  बेहतरीन  ही मिलेगा और तुम्हें सफलता अवश्य मिलेगी । तुम पर  बड़ों और हम लोगों का आशीर्वाद तो है ही। आज से ही तैयारी शुरू कर दो जिसमें मैं भी तुम्हारी मदद करूंगा। कुछ भी दिक्कत हो बेझिझक कोचिंग के समय पर आ जाना। जितना हो सकेगा मैं तुम्हारी सहायता अवश्य करूंगा।


जी सर! कहते हुए ऋषभ ने अपने कोचिंग के उमेश सर को प्रणाम किया और अपनी साइकिल ‌की तरफ बढ़ने लगा । वह  खुशी - खुशी अपने घर की ओर चल पड़ा है । अपने फेल होने के दर्द को बुलाकर वह खुश इसलिए है क्योंकि मधु अपने लक्ष्य  की तरफ कदम बढ़ा रही है।


" मैं भी अब बहुत मेहनत करूंगा और उसके लायक बनकर दिखाऊंगा । उसे कामयाबी तो एक दिन जरूर मिलेगी लेकिन मैं भी नाकामयाब नहीं रहूंगा । मुझे उसके काबिल बनना है तभी तो उसके समकक्ष खड़ा  होने  की  हिम्मत  मुझमें आएगी और ऐसा मैं उसके साथ - साथ पूरी दुनिया को दिखाऊंगा।"  मन ही मन में  दृढ़ निश्चय  कर वह अपनी साइकिल को तेज - तेज  भगाने लगता है । वह जल्द से जल्द अपने घर पहुंचना चाह रहा है ताकि दसवीं की परीक्षा देने की तैयारी में उसका समय बर्बाद ना हो ।  वह भी मधु की तरह आने वाली दसवीं बोर्ड की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त करना चाह रहा है ।


क्या ऋषभ अगले साल पास हो पाया ? मधु और ऋषव की जिंदगी में आगे क्या हुआ ? यह जानने  के लिए हमारे साथ जुड़े रहे धारावाहिक के अगले अध्याय तक ।


क्रमशः



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गुॅंजन कमल 💓💞💗


# उपन्यास लेखन प्रतियोगिता 


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12 Comments

Mithi . S

18-Sep-2022 04:53 PM

Bahut achhi rachana

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Chirag chirag

17-Sep-2022 06:13 PM

Beautiful part

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Priyanka Rani

17-Sep-2022 04:41 PM

Nice post

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